kasturi kundal base

जब पछताते हुए मैंने कहा–
ओ जीवन-देवता !
मुझे फिर एक बार हारी हुई बाजी लौटा दे,
हो सकता है,
भाग्य इस बार मुझे जिता दे |’
तो देवता मंद-मंद मुस्कुराये,
कुछ अस्फुट-से शब्द
मेरे कानों से टकराये–
‘लौटकर जानेवाली लहर
दुबारा नहीं आती है,
यह बाजी तो
बस एक बार ही खेली जाती है।’