kasturi kundal base

यद्यपि सूर्यास्त के पूर्व
मुझे इस पर्वत पर चढ़ना है,
पर अपने लिए एक-एक सीढ़ी काटते हुए ही
आगे की ओर बढ़ना है;
न तो मैं औरों के सिर पर से
छलाँग लगा सकता हूँ,
न ऊपर-ही-ऊपर उड़ता हुआ
शिखर तक जा सकता हूँ;
मुझे तो हर कदम पर चुनौती देते हुए
इन पाषाण-खंडों के बीच से ही
अपना मार्ग गढ़ना है;
माना कि अन्य कोई भी
अब इस दुर्गम घाटी में
मेरे संग नहीं आता है,
पर क्या करूँ,
पर्वतारोहण का मुझे कोई
दूसरा ढंग नहीं आता है!