kasturi kundal base
सागर-संतरण को निकली नौकाओं का समूह
संध्या समय निराश घर लौट आया,
रात भर चमकते शत-शत खद्योतों में
एक भी सूरज को नहीं छू पाया।
फिर भी यह प्रयास व्यर्थ नहीं था;
कौन कह सकता है,
इनमें से कोई जलयान उस पार नहीं पहुँच जाता!
कोई जुगनू सूरज बनने में समर्थ नहीं था!