kasturi kundal base

मैं पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहता,
जो कुछ भी बुरा-भला आया था,
बीत गया,
इससे क्या अंतर पड़ता है
कि प्याला कभी मेरे ओंठों से नहीं लगा,
मेरे हाथ से छलक-छलककर रीत गया।