kasturi kundal base
यों तो मार्ग के हर देव-विग्रह पर
मैं मस्तक टेकने को रुका हूँ,
पर वे सभी मील के पत्थर थे
जिन्हें छोड़ता हुआ आगे बढ़ चुका हूँ
कभी मुझे भी सुगंध ने पुकारा था,
फूलों ने लुभाया था,
पर उन सबों से मुँह मोड़कर
मैं तेरी ओर ही चलता आया था।