kasturi kundal base
ओ अधीर मन!
धीरज क्यों खोता है !
फूट-फूटकर क्यों रोता है !
क्या तेरी आतुरता देखकर
सूरज आधी रात को निकल आयेगा!
कार्य अपने समय पर ही होता है।
अँधेरा जितना ही गहरा होगा,
सवेरा उतना ही सुनहरा होगा!
ओ अधीर मन!
धीरज क्यों खोता है !
फूट-फूटकर क्यों रोता है !
क्या तेरी आतुरता देखकर
सूरज आधी रात को निकल आयेगा!
कार्य अपने समय पर ही होता है।
अँधेरा जितना ही गहरा होगा,
सवेरा उतना ही सुनहरा होगा!