kasturi kundal base

मेरी साँसों के स्पर्श से
किसी कलिका के कपोल न सिहरें,
मेरे पाँवों की आहट भी
किसी फूल तक नहीं पहुँच सके;
मैं इस बाग़ से यों निकल जाऊँ
कि न तो किसी खग-शावक की नींद टूटे,
न कोई पत्ता खड़के।