boonde jo moti ban gayee
मेरे लिए प्रतीक्षा मत करना,
मैं अब कभी यहाँ लौटकर नहीं आऊँगा।
बादल घुमड़ते रहें तो क्या!
सागर उमड़ते रहें तो क्या!
तुम प्रतीक्षा मत करना,
एक बार इस मृण्मय घर से निकलकर
फिर कभी मैं तुम्हें दिख नहीं पाऊँगा।
मेरे लिए प्रतीक्षा मत करना,
हमारा मिलन वैसा ही था,
जैसे दो भटकती हुई लहरों का मिल जाना,
जैसे दो फूलों का
पास-पास खिल जाना;
कल कहाँ होंगे हम
कौन कहे !
यही क्या कम है,
जब तक रहे, एक होकर रहे।
मेरे लिए प्रतीक्षा मत करना,
माना, कुछ भी नष्ट नहीं होता है,
फिर भी क्या बिछुड़ने में कष्ट नहीं होता है!
यह भी सही है
कि अनंत आकाश में,
किसी-न-किसी रूप में हम अवश्य रहेंगे,
विद्युत में चमकेगा हमारा अस्तित्व
झंझा के शीश पर हमीं बहेंगे,
किंतु कैसे पहचानेंगे एक दूसरे को,
मिल भी गये तो क्या कहेंगे!
मेरे लिए प्रतीक्षा मत करना
मैं अब कभी यहाँ लौटकर नहीं आऊँगा!