vyakti ban kar aa
धरती की सीमायें अब मुझे बाँध नहीं सकेंगी,
दृष्टि का प्रसार जहाँ तक है,
सब मेरी तूलिका का फलक है।
मेरे आगे नये-नये क्षितिज तैरते आ रहे हैं
यह सारा ब्रह्मांड अब मेरे लिये हस्तामलक है।
मेरी कविता में अनजाने लोकों की छवि है,
मेरा कवि नयी मानवता का कवि है।