nupur bandhe charan
( 1)
अंतर में तू आयी
मेरी बहिर्चेतना झूठी
मानी नहीं तनिक जब रूठी
घट-घट की यह दृष्टि अनूठी
मैंने निज में पायी
बाह्यांतर प्रतिघात नहीं अब
कौन दिशावधि, ज्ञात नहीं अब
अश्रु-हास की बात नहीं अब
कुछ अपनी न परायी
यह अकूल विक्षोभ-रहित है
नाम-रूप-हृत केवल चित् है
शुद्ध, पूर्णता में स्वस्थित है
पर्वत कहूँ कि राई!
अंतर में तू आयी।
अपनी 3.5 वर्षों की अल्पवयस पुत्री शकुंतला की मृत्यु पर सन् 1948 में
ये 6 गीत लिखे गये थे।