sau gulab khile
हमें तो कहते हो,–‘अपना ख़याल है कि नहीं?’
तुम्हारे दिल का भी ऐसा ही हाल है कि नहीं !
कभी तो पास चले आओ कि देखें हम भी
नज़र में अब भी वो पहला सवाल है कि नहीं
जहाँ पे बैठके छेड़ी थी हमने प्यार की तान
तुम्हें भी याद वो फूलों की डाल है कि नहीं ?
जो देखिए तो वही-वह दिखायी देता है
जो सोचिये तो उलझता है जाल, है कि नहीं !
हमारे प्यार का रोना है, कोई गीत नहीं
किसे है होश कि सुर और ताल है कि नहीं !
चुभे हैं तन में तो काँटे हज़ार-लाख, मगर
गुलाब लाल हैं अब तक, कमाल है कि नहीं !