सौ गुलाब खिले_Sau Gulab Khile
- अँधेरी रात के पर्दे में झिलमिलाया किये
- अगर समझो तो मैं ही सब कहीं हूँ
- अपने हाथों से ज़हर भी जो पिलाया होता
- अब क्यों उदास आपकी सूरत भी हुई है
- अब हमारे वास्ते दुनिया ठहर जाये तो क्या !
- आँखों-आँखों ही में दोस्ती हो गयी
- आज तो शीशे को पत्थर पे बिखर जाने दे
- आप क्यों जान को ये रोग लगा लेते हैं !
- आप, हम, और कुछ भी नहीं !
- आये थे जो बड़े ही ताव के साथ
- उतरती आ रही हैं प्राण में परछाइयाँ किसकी !
- उनकी आँखों में प्यास देखेंगे
- उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता !
- उन्हें बाँहों में बढ़कर थाम लेंगे
- एक अनजान बिसुधपन में जो हुआ सो ठीक
- कभी सिर झुकाके चले गये, कभी मुँह फिराके चले गये
- कभी हमसे खुलो जाने के पहले
- कहाँ पे हमको उमीदों ने लाके छोड़ दिया !
- क्या ज़िंदगी को दीजिये, क्या-क्या न दीजिये !
- क्या बने हमसे भला कागज़ की तलवारों से आज !
- किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए
- कुछ उन्हें मेरा ध्यान हो भी तो
- कुछ ऐसे साज़ को हमने बजाके छोड़ दिया
- कुछ जगह उनके दिल में पा ही गयी
- कुछ हम भी लिख गये हैं तुम्हारी क़िताब में
- कोई साथी भी नहीं, कोई सहारा भी नहीं
- कोई हमींसे आँख चुराये तो क्या करें !
- कोई हमें सताये सताता ही जाये तो
- खनक कुछ कम भी हो तो कम नहीं है
- खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिए
- चुप तो किसी भी बात पे रहते नहीं हैं हम
- चले भी आइये क्यारी में सौ गुलाब खिले
- जहाँ भी दिल ने पुकारा वहीं जाना होगा
- जान उन पर लुटाके बैठ गये
- ज़िंदगी को यों ही भरमाया किए
- ज़िंदगी दर्द का दाह है
- जो कहते हैं, –‘हमसे लड़ाई हुई है’
- जो जीवन में दुःख की घटा बन गयी है
- जो पीने में ज़्यादा या कम देखते हैं
- जो रोते हैं ऐसी ही बातों में आप
- झलक भी प्यार की कुछ उसमें मिल गयी होती
- तुम्हारे रूप को चाहे भला कहें तो कहे
- तेरी तिरछी अदाओं पर जिन्हें मरना नहीं आता
- दम न छूटे तो चारा नहीं
- दिया भी याद का इसमें जलाके रक्खा है
- दिल के लुट जाने का ग़म कुछ भी नहीं !
- दिल्लगी और ही है, दिल की लगी और ही है
- दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था
- दिल की तड़पन देखिये, दुनिया की ठोकर देखिये
- दिल को तुम्हारे वादे का एतबार तो रहे
- दीप जलता ही रहेगा रात भर
- दुनिया को अपनी बात सुनाने चले हैं हम
- दो घड़ी की हँसी-खुशी के लिए
- नज़र अब उनसे मिलाने की बात कौन करे !
- नज़र नज़र से ही टकराये, और कुछ मत हो
- नज़र से दूर भी जाने से कोई दूर न था
- नहीं एक दिल की लगी छूटती है
- नहीं कोई भी मरने के सिवा अब काम बाकी है
- नहीं दुःख ये भार होता, न ये इंतज़ार होता
- न होंठ तक कभी आयी, न मन के द्वार गयी
- निराश प्राण में आशा के सुर सजाते चलो
- पहले तो मेरे दर्द को अपना बनाइये
- प्यार की बात न कर प्यार को बस रहने दे
- प्यार को हम न कोई नाम दिया चाहते हैं
- प्यार में यों भी जीना हुआ
- प्राण में गुनगुना रहा है कोई
- फिर उन्हें हम पुकार बैठे हैं
- फिर किसी प्यार की पुकार है आज
- बड़ी हसीन है सपनों की रात, चुप भी रहो
- बहुत हमने खोया, बहुत हमने पाया
- बात होनी थी, होके रही
- बातें हम अपने प्यार की, उनसे छिपाकर कह गये
- बिना अब आपके जीना तो साँसें जोड़ना ठहरा
- भले ही दिल न मिले, आँख चार होती रही
- भले ही बाग़ में कोयल भी है, बहार भी है
- भोर होनी थी, होके रही
- मिलके आँखें हैं छलछलाई क्यों !
- मुझे भी अपना बना लो, बहुत उदास हूँ मैं
- मुँह से कहते नहीं, गुलाब भी हैं
- मिलने की हर खुशी में बिछड़ने का ग़म हुआ
- मेरा जीना प्यार का जीना, उनकी बातें काम की बातें
- मेरी चुप्पी भी उनको भा ही गयी
- मौत आँखें दिखाती रही
- यह ज़िंदगी तो कट गयी काँटों की डाल में
- यह तो वेला है, ढलती रही
- रहे न चाँद, यही चाँदनी रहे न रहे
- लगी है चोट जो दिल पर बता नहीं सकते
- लुभा रही है बहुत उनके देखने की अदा
- वनों में आग है, बिजली भी आसमान में है
- वहीं जो पाँव ठिठक जाय, क्या करे कोई !
- विश्व उद्यान है, भ्रमण कर लो
- वैसे तो आज प्यार में हारे हुए हैं हम
- सबसे आँखें तो चार करते हैं
- सभी तरफ है अँधेरा, कहीं भी कोई नहीं
- साज़ क्यों बज नहीं पाता है !
- सुनते नहीं हैं पाँव की आहट कहीं से हम
- हम अपनी उदासी का असर देख रहे हैं
- हम अपने मन का उन्हें देवता समझते हैं
- हम उनको अपना बना लें, कभी वो खेल तो हो
- हमसे किसीका प्यार छिपाया न जायगा
- हम यों भी कभी प्यार की ठोकर में जी गये
- हमारी रात अँधेरी से चाँदनी बन जाय
- हमारे प्यार का सपना भी आज टूट न जाय
- हमारे सामने आओ कि हम भी देख सकें
- हमारे सुर से किसीका सिंगार हो तो हो
- हमेशा दूर ही रहते हैं आप, क्या कहिए !
- हमें तो कहते हो, ‘अपना ख़याल है कि नहीं’
- हरदम किसीकी याद में जलते रहे हैं हम
- हुआ है प्यार भी ऐसे ही कभी साँझ ढले
• “ये ग़ज़लें बहुआयामी हैं। इनमें कवि की आत्माभिव्यक्ति ही नहीं, आत्मसमर्पण भी है। लौकिक और आध्यात्मिक प्रेम की सार्थक अभिव्यक्ति इन ग़ज़लों की विशेषता है।”
-साप्ताहिक ’आज’