sau gulab khile

बिना अब आपके जीना तो साँसें जोड़ना ठहरा
तड़पना, आह भरना, चीखना, सर फोड़ना ठहरा

जो आप आते हैं तो चाँदनी आ जाती है घर में
नहीं तो बस अँधेरे से अँधेरा जोड़ना ठहरा

अकेले आपके ही सर पे कुल इल्ज़ाम क्योंकर हो !
हमें तो हर जगह पत्थर ही पत्थर तोड़ना ठहरा

उन्हें कैसे बतायें क्या है इस आँसू बहाने में
जिन्हें हरदम हँसी के कहकहे ही छोड़ना ठहरा !

चुभन काँटों की भी कुछ बस गयी दिल में, गुलाब ! ऐसी
कि इनको छोड़ना अपने से ही मुँह मोड़ना ठहरा