sau gulab khile

साज़ क्यों बज नहीं पाता है, कोई बात भी हो !
आज क्यों जी भरा आता है, कोई बात भी हो !

हम तेरे प्यार की एक धुन को तरसते ही रहे
कोई यों रूठ न जाता है, कोई बात भी हो !

रात है, चाँद है, तारे हैं, नदी है, हम हैं
प्यार क्यों आँख चुराता है, कोई बात भी हो !

हमको आता है किसी बात पे रोना भी, मगर
उनको बस हँसना ही आता है, कोई बात भी हो !

बाग़ में यों तो चटकते हैं हज़ारों ही गुलाब
एक क्यों खिल नहीं पाता है, कोई बात भी हो !