sau gulab khile

मौत आँखें दिखाती रही
ज़िंदगी मुस्कुराती रही

प्यार रोता रहा रात भर
रूप को नींद आती रही

जानेवाले तो ठहरे नहीं
लाख दुनिया मनाती रही

वन में पतझड़ भी होता रहा
और कोयल भी गाती रही

उनके चरणों में पहुँचे गुलाब
लाख दुनिया बुलाती रही