sau gulab khile

दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था
अगर वे दिल से बुलाते तो कोई दूर न था

ये माना हमने, झुका सर न उनके चरणों तक
जो वे भी आँख उठाते तो कोई दूर न था

बहुत ही गहरे में मिलता है प्यार का मोती
हम और डूबते जाते तो कोई दूर न था

नहीं था खेल, यह माना कि चाँद को छूना
अगर वे साथ निभाते तो कोई दूर न था

‘गुलाब’ सब यहाँ लगते हैं दूर-दूर मगर
चले जो मौज में गाते तो कोई दूर न था