sau gulab khile

दम न छूटे तो चारा नहीं
वर्ना जीना गवारा नहीं

कोई था जब नहीं था कोई
हमने मुड़कर पुकारा नहीं

हाल सबका यही प्यार में
कुछ हमारा-तुम्हारा नहीं

इस तरफ़ का किनारा तो है
उस तरफ़ का किनारा नहीं

पास रखते हैं हरदम गुलाब
कोई काँटों से प्यारा नहीं