sau gulab khile

आप क्यों जान को यह रोग लगा लेते हैं !
वे तो बस वैसे ही फूलों की हवा लेते हैं

हमको भूली है नहीं याद घड़ी भर उनकी
देखें, अब कब वे हमें पास बुला लेते हैं

एक-से-एक है तस्वीर इन आँखों में बसी
जब जिसे चाहते, सीने से लगा लेते हैं

है न दुनिया में कहीं कोई पराया हमको
जो भी मिलता है उसे अपना बना लेते हैं

एक दिन बाग़ से ख़ुद ही चले जायेंगे गुलाब
आज खिलते हैं अगर, आपका क्या लेते हैं !