sau gulab khile

आज तो शीशे को पत्थर पे बिखर जाने दे
दिल को रो लेंगें, ये दुनिया तो सँवर जाने दे

ज़िंदगी कैसे कटी तेरे बिना, कुछ मत पूछ
कहने को यों तो बहुत कुछ है, मगर जाने दे

तेरे छूते ही तड़प उठता है साँसों का सितार
अपनी धड़कन मेरे दिल में भी उतर जाने दे

जी तो भरता नहीं इन आँखों की ख़ुशबू से, मगर
ज़िंदगी का बड़ा लंबा है सफ़र, जाने दे

सुबह आयेगा कोई पोंछने आँसू भी, गुलाब !
रात जिस हाल में जाती है, गुज़र जाने दे