sau gulab khile

झलक भी प्यार की कुछ उसमें मिल गयी होती
हमारी जाँच जो दिल की नज़र से की होती

हमारे मन की उमंगों से खेलनेवाले
हमारे प्यार की तड़पें भी देख ली होती !

गये तो छोड़के दुनिया की आँधियों में हमें
कभी तो धूल ही आँचल से झाड़ दी होती

वो एक बात जो दम भर में चलते वक़्त हुई
वो एक बात तो पहले भी हो गयी होती

कहाँ से आती ये रंगत तुम्हारी सूरत पर
नहीं किसीकी जो आँखों में रह चुकी होती !

कभी गुलाब से मिलते बहार में जो आप
तो उनकी आज कहानी ही दूसरी होती