sau gulab khile
वैसे तो आज प्यार में हारे हुए हैं हम
फिर भी कभी, किसीके सँवारे हुए हैं हम
आशा की हर किरन को अँधेरों ने ढँक लिया
किन बेरहम घटाओं के मारे हुए हैं हम !
आता नहीं है भूलके कोई भी अब इधर
हर प्यार की नज़र से उतारे हुए हैं हम
अटकी हुई है आके पुतलियों में अब ये जान
आओ कि अब तो भोर के तारे हुए हैं हम
गालों पे है गुलाब के, दिल के लहू का रंग
काँटों से ज़िंदगी को निखारे हुए हैं हम