sau gulab khile

हरदम किसीकी याद में जलते रहे हैं हम
करवट ही ज़िंदगी में बदलते रहे हैं हम

जाना किधर है, आये कहाँ से, पता नहीं
कोई चलाये जा रहा, चलते रहे हैं हम

ऐसे तो हमको आपने देखा न था कभी
हर बार इस गली से निकलते रहे हैं हम

हरदम किसीके पाँव की आहट सुना किये
गिर-गिरके ज़िंदगी में सँभलते रहे हैं हम

देखे जो कोई रंग हैं सौ-सौ गुलाब में
मौसम के साथ-साथ बदलते रहे हैं हम