sau gulab khile

फिर उन्हें हम पुकार बैठे हैं
फिर कोई दाँव हार बैठे हैं

दिल कहाँ और कहाँ तेरी दुनिया !
शीशा पत्थर पे मार बैठे हैं

ज़िंदगी ! कुछ तो भर दे प्याले में
हम भी पीने उधार बैठे हैं

होंगे मोती कहीं उन आँखों में
हंस जमुना के पार बैठे हैं

कुछ तो सुन्दर था रूप पहले से
और कुछ हम सँवार बैठे हैं

कैसे दिल चीरकर दिखायें गुलाब
प्यार पर पहरेदार बैठे हैं