sau gulab khile
फिर किसी प्यार की पुकार है आज
फिर कोई रूप बेक़रार है आज
मौत ! बस इंतज़ार था तेरा
अब किसीका न इंतज़ार है आज
नींद मेरी थी प्यार का बचपन
मैं जगा तो जवान प्यार है आज
कब उन आँखों से हैं झड़े मोती
जब ये आँचल ही तार-तार है आज
एक तस्वीर थरथरायी हुई
यही दुनिया की यादगार है आज !
याद आती गुलाब की न उसे
और ही रंग में बहार है आज