sau gulab khile

उनकी आँखों में प्यास देखेंगे
हम भी फूलों का हास देखेंगे

दिल में रहके भी दूर-दूर रहे
और कुछ होके पास देखेंगे

याद कर लेंगे आपकी बातें
मन को जब भी उदास देखेंगे

वे निराशा में ही मिलते हैं, सुना
थोड़ा होकर निराश देखेंगे

यों तो चरणों के पास जा न सके
खोके होशो-हवास देखेंगे

जब कहा–‘देखिए खिले हैं गुलाब’
बोले–‘हम तो पलास देखेंगे’

मीर, ग़ालिब को छूना खेल नहीं
फिर भी करके प्रयास देखेंगे