sau gulab khile

आँखों-आँखों में ही दोस्ती हो गयी
होंठ खोले न थे, बात भी हो गयी

अब तो यह ज़िंदगी आपकी हो गयी
भूल जो भी हुई थी, सही हो गयी

उनका वादा सुबह-शाम टलता रहा
ख़त्म ऐसे ही कुल ज़िंदगी हो गयी

प्यार की राह में, आँसुओं ने कभी
बात जो थी कही, अनकही हो गयी

चाक होने से दिल क्यों बचेगा, गुलाब !
अब तो काँटों से ही दोस्ती हो गयी