ghazal ganga aur uski lahren
किसीने गाया, किसीने पढ़ा, किसीने सुना
वाह, क्या ख़ूब थी इस दिल के तड़पने की अदा !
यह तो आदत है कि जो आह किये जाता हूँ
दर्द होता था जहाँ, अब तो वह दिल ही न रहा
जब शहर में किसी दीवाने की फ़रियाद सुनो
मेरी इन प्यार की ग़ज़लों को याद कर लेना
अब न चल पायेगा, दुनिया ! तेरा जादू मुझ पर
जुड़ गया है तेरे मालिक से ही रिश्ता मेरा
कहाँ से पायी यह ख़ुशबू, ये रंगतें इतनी !
गुलाब ! रहके भी काँटों में तू खिला ही रहा