har subah ek taza gulab
भेंट उसने गुलाब की ले ली
घूँट जैसे शराब की ले ली
प्यार दिल में किया है हमने अगर
कौन दौलत जनाब की ले ली
कर्ज साँसों का तो दिया उसने
पाई-पाई हिसाब की, ले ली
क्या हुआ, ज़िंदगी में हमने भी
नींद थोड़ी जो ख़्वाब की ले ली !
आज पहले-सी वह बहार कहाँ !
किसने रंगत गुलाब की ले ली !