kuchh aur gulab
आँखें भरी-भरी मेरी, कुछ और नहीं है
आँसू में है ख़ुशी मेरी, कुछ और नहीं है
एक ताजमहल प्यार का यह भी है, दोस्तो !
है इसमें ज़िंदगी मेरी, कुछ और नहीं है
जो चाहे समझ लीजिए, मरज़ी है आपकी
गाना है बेबसी मेरी, कुछ और नहीं है
क्यों फेर दी है उसने पँखुरियाँ गुलाब की
है इनमें दोस्ती मेरी, कुछ और नहीं है