कुछ और गुलाब_Kuchh Aur Gulab
- अब न जाने की करो बात, क़रीब आ जाओ
- आँखें भरी-भरी मेरी, कुछ और नहीं है
- आँखों-आँखों मुस्कुराना ख़ूब है !
- आओ कुछ देर गले लग लें ठहर के
- आईने में जब उसने अपना चाँद-सा मुखड़ा देखा होगा
- आपने ज़िंदगी न दी होती
- इस दिल में तड़पने के अरमान ही अच्छे हैं
- इस बेरुखी से प्यार कभी छिप नहीं सकता
- उस नज़र पर छाये हुए और सौ गुलाब
- एक-से-एक बढ़कर चले
- एक अनबुझी-सी चाह मेरे साथ रही है
- ऐ ग़म ! न छोड़ना हमें इस ज़िंदगी के साथ
- कभी बेसुधी में रुके नहीं, कभी भीड़ देखके डर गये
- कहते रहे हैं दिल की कहानी सभी से हम
- क्या कहा, ‘अब तो कोई ग़म न होगा’
- कहनी है कोई बात मगर भूल रहे हैं
- कितनी भी दूर जाके बसे हों निगाह से
- कुछ तो आगे इस गली के मोड़ पर आने को है
- कुछ भी नहीं जो हमसे छिपाते हो, ये क्या है !
- कोई ऊँची अटारी पे बैठा रहा, हाय ! हमने उसे क्यों पुकारा नहीं !
- कोई मंजिल नई हरदम है नज़र के आगे
- ख़त्म रंगों से भरी रात हुई जाती है
- चढ़ी घूँट भर ही, क़दम डगमगाया
- चाह अब भी हो उसे मेरी, ज़रूरी तो नहीं
- जो भी जितनी दूर तक आया, उसे आने दिया
- जो भी वादे कराये गये
- ठुमरी-सी भैरवी की, ख़ुमारी शराब की
- तुम्हें प्यार करने को जी चाहता है
- दिन ज़िंदगी के यों भी गुज़र जायँ तो अच्छा !
- दिल के शीशे में कोई चाँद चमकता ही रहा
- दिल तो मिलता है, निगाहें न मिलें भी तो क्या !
- धुन प्यार की जो समझें न उन्हें, यह दिल की कहानी क्या कहिये !
- धोखा कहें, फ़रेब कहें, हादसा कहें
- नज़र उनसे छिपकर मिलायी गयी है
- नहीं एक अपनी व्यथा कह गये
- नशा प्यार का आज टूटे तो टूटे
- नाम यों तो सभी के बाद आया
- परदेदारी भी बेहिज़ाबी भी
- प्यार की बात भी भारी है, इसे कुछ न कहो
- प्यार की राह में रोने से तो बाज़ आये हम
- प्यार की हमको ज़रूरत कभी ऐसी तो न थी !
- प्यार पर आँच न आये मेरे जाने के बाद
- प्यार यों तो सभी से मिलता है
- प्यार हमने किया, उनपे एहसान क्या, प्यार कहकर बताना नहीं चाहिए
- प्यार हुआ ऐसे तो नहीं
- पिएगा छक के कोई, कोई घूँट भर को तरसेगा
- पीने का नहीं हम पे नशा और ही कुछ है
- पीने की देर है न पिलाने की देर है
- फिर उन्हीं आँखों की खुशबू में नहाने के लिये
- फिर-फिर वही धुन लेकर यों किसने पुकारा है !
- फिर मुझे नरगिसी आँखों की महक पाने दो
- फूँक देना न इसे काठ के अंबार के साथ
- बनके दीवाना न यों महफ़िल में आना चाहिये
- बस कि मेहमान सुबह-शाम के हैं
- बात ऐसी न सुनी थी किसी दीवाने में
- बेकहे भी न रहा जाय और क्या कहिये !
- मिलके नहीं बिछुड़ेंगे जहाँ हम,
- मिलना न अब हमारा हो भी अगर तो क्या है !
- मुट्ठी में अब ये चाँद-सितारे हुए तो क्या !
- मुँह खोलके हमसे जो मिलते न बना होता
- मेरी आँखों में जब तक नमी है
- यह सितारों से भरी रात हमारी कब थी !
- याद मरने पे ही किया तुमने
- ये प्यार के वादे क्या सुनिए, यह दिल की कहानी क्या कहिये
- यों तो अनजान लगता रहे
- यों तो हमसे न कोई बात छिपायी जाती
- यों तो बदली हुई राहों की भी मजबूरी थी
- यों तो परदे नज़र के रहे
- यों तो होंठों से कुछ न कहता है
- यों तो इस दिल के क़दरदान बहुत कम हैं आज
- यों निगाहें थीं शरमा गयीं
- लगा कि अब तेरी बाँहों में कोई और भी है
- लीजिये बढ़के अपनी बाँहों में
- वीणा को यों तो हाथ में थामे हुए हैं हम
- समझे न दिल की बात इशारों को देखकर
- सही है, ठीक है, हमने ये ग़म सहे ही नहीं
- साज़ यह छेड़ रहा कौन है हमारे सिवा !
- सारी दुनिया पे कहर ढा देना
- हम तो नहीं होंठों से कहेंगे, ‘काट ली क्यों आँखों में रात!’
- हर क़दम, हर क़दम, हर क़दम
- हरेक सवाल पे कहते हो कि ये दिल क्या है
- हो न मुश्किल ये तड़पना मगर आसान नहीं
“इसकी प्रत्येक पंक्ति पठनीय ही नहीं स्मरणीय भी है।”
–
शंकरदयाल सिंह (संसदसदस्य)
“गुलाबजी की इन ग़ज़लों में प्रेम की विभिन्न स्थितियों की पकड़ है. उन्होंने ग़ज़ल को अपने प्रयोग का नया क्षेत्र बनाया है. इस नये क्षेत्र में खाली हाथ नहीं आये हैं. क्षेत्र के विशेषज्ञ देखें की हिंदी को यहाँ क्या मिला है और सहृदय शब्द-शब्द में स्पंदित ह्रदय की ध्वनि सुनें और अर्थ की बहुधा तरंगों का निरिक्षण करें”
-श्री त्रिलोचन शास्त्री