kuchh aur gulab

यों तो होंठों से कुछ न कहता है
प्यार नज़रों में उसकी रहता है

उसके वादों का एतबार किया
यह समझकर कि झूठ कहता है

कौन समझेगा दिल की बेताबी
ख़ून आँखों से जब न बहता है !

प्यार की हर सज़ा क़बूल हमें
दिल तेरी बेरुख़ी न सहता है

कोई मिलता नहीं हो तुझसे, गुलाब!
फिर भी अनजान नहीं रहता है