kuchh aur gulab

यों तो परदे नज़र के रहे
प्यार हम उनसे करके रहे

वे न भूलेंगे वादा मगर
उम्र भर कौन मरके रहे !

याद कर भी तो लो, दोस्तो !
हम भी साथी सफ़र के रहे

चलते-चलते कटी ज़िंदगी
फ़ासिले हाथ भर के रहे

कौन पत्तों में देखे, गुलाब !
लाख तुम बन-सँवरके रहे