kuchh aur gulab

ऐ ग़म ! न छोड़ना हमें इस ज़िंदगी के साथ
पकड़ा है तेरा हाथ बड़ी बेबसी के साथ

लाकर हमारे होंठ तक प्याला पटक दिया
की दोस्ती भी उसने मगर दुश्मनी के साथ

यों तो ख़ुशी के दौर भी आये तेरे बग़ैर
आँसू निकल ही आये मगर हर ख़ुशी के साथ

हमने तो खेल-खेल में ख़ुद को लुटा दिया
अच्छा नहीं था खेलना ऐसे किसीके साथ

लायेगी रंग एक दिन चुप्पी गुलाब की
कुछ कह गये हैं वह भी बड़ी सादगी के साथ