kuchh aur gulab
मुट्ठी में अब ये चाँद सितारे हुए तो क्या !
मरने के बाद आप हमारे हुए तो क्या !
वे लोग जा चुके जिन्हें फूलों से प्यार था
क़दमों पे अब ये बाग़ भी सारे हुए, तो क्या !
जब डूबना है क्यों भला माँझी का लें एहसान !
दो हाथ और पास किनारे हुए तो क्या !
जब दिल में रह गया न तड़पने का हौसला
उन शोख़ निगाहों के इशारे हुए तो क्या !
मेहराब थे फूलों के वे औरों के वास्ते
दम भर किसीके हम भी सहारे हुए तो क्या !
अब भी उन्ही बहार के रंगों में हैं गुलाब
हैं आपकी नज़र से उतारे हुए तो क्या !