kuchh aur gulab

समझे न दिल की बात इशारों को देखकर
देखा था उनकी ओर बहारों को देखकर

डूबी है नाव अपने ही पाँवों की चोट से
हम नाचने लगे थे किनारों को देखकर

धोखा ही हमने खाया हसीनों से है सदा
सावन समझ रहे थे फुहारों को देखकर

जो देखना हो देखिए इस दिल में झुकके आप
क्या कीजियेगा चाँद-सितारों को देखकर !

अच्छा है, आप बाग़ में चुप ही रहें, गुलाब!
हँसते है लोग पाँच सवारों को देखकर