kuchh aur gulab

दिल के शीशे में कोई चाँद चमकता ही रहा
रात भर सुर तेरी पायल का झमकता ही रहा

यों तो उसने कभी कुछ भी न कहा मुँह से, मगर
प्यार का रंग उन आँखों में चमकता ही रहा

लाख कुम्हला गया दुनिया की हवा से तू, गुलाब !
एक मोती तेरे गालों पे दमकता ही रहा