kuchh aur gulab

हरेक सवाल पे कहते हो कि यह दिल क्या है
तुम्हीं बताओ, मेरे प्यार की मंज़िल क्या है

हमने माना कि तुम्हारे सिवा नहीं है कोई
फिर ये प्याला, ये शराब, और ये महफ़िल क्या है !

ज़िंदगी सच है, मिली दर्द की लज़्ज़त के लिये
कोई यह भी तो कहे, दर्द का हासिल क्या है

यों तो आसान नहीं प्यार की धड़कन सुनना
तार दिल के जो मिले हों तो ये मुश्किल क्या है !

रौंद डाली हैं पँखुरियाँ तेरी पाँवों से, गुलाब !
उसने देखा भी न झुककर कि मुक़ाबिल क्या है