kuchh aur gulab
हर क़दम, हर क़दम, हर क़दम
तेरे नज़दीक आते हैं हम
तेरा दिल तो धड़कता रहा
तू भले ही था चुप, बेरहम !
कुछ तो है तेरी आँखों में प्यार
और कुछ है हमारा भरम
जान ले ले, मगर शर्त है
तेरे क़दमों में निकले ये दम
वे अदायें कहाँ अब, गुलाब!
जिनपे मरने की खायी क़सम !