kuchh aur gulab

कहते रहे हैं दिल की कहानी सभी से हम
दुख एक का कहने से दूसरे को हुआ कम

यों तो था हमसे छूट गया कारवाँ का साथ
फिर भी चले ही आये हैं तुम तक क़दम-क़दम

तीमारदारियाँ तो बहुत कर रहे हैं दोस्त
जायगी जब ये जान तभी जायगा ये ग़म

चुप भी रहा जो कोई हमें देखकर तो क्या !
अच्छा है, दिल के वास्ते कुछ तो रहा भरम

यों तो हरेक नज़र तेरे तिरछे रही, गुलाब!
मिलती रही हैं फिर भी पुतलियाँ किसीकी नम