kuchh aur gulab
क्या कहा– ‘अब तो कोई ग़म न होगा !’
हाँ, जो पहले था एक भरम, न होगा
रंग यों तो किसीमें कम न होगा
फूल जो ढूँढ़ते हैं हम, न होगा
तेरे आँचल का मिल गया है कफ़न
अब तो मरने का हमको ग़म न होगा
कुछ तो मिलता है हर नज़र में, मगर
दिल का मिलना क़दम-क़दम न होगा
हँसके देखें गुलाब को यों आप
क्यों उसे प्यार का वहम न होगा !