kuchh aur gulab

जो भी वादे कराये गये
सब हँसी में उड़ाये गये

उनकी महफ़िल न फीकी पड़ी
लोग कितने ही आये, गये

एक दीपक नहीं जल सका
लाख दीपक बुझाये गये

फूल चुभते थे जिनको, वही
आग पर से चलाये गये

मिल न पाये कहीं जब गुलाब
उनकी आँखों में पाये गये