kuchh aur gulab
सारी दुनिया पे कहर ढा देना
ख़ूब था तेरा मुस्कुरा देना
सैकड़ों छेद हैं इसमें, मालिक !
अब ये प्याला ही दूसरा देना
हुक्म हाकिम का है –‘ किताबों से
प्यार के लफ़्ज़ को हटा देना’
तुमने नज़रें तो फेर लीं हमसे
दिल से मुमकिन नहीं भुला देना
आख़िरी वक़्त देख तो लें गुलाब
रुख़ से परदा ज़रा उठा देना