pankhuriyan gulab ki
भले ही हाथ से आँचल छुड़ाये जाते हैं
वे और भी मेरे दिल में समाये जाते हैं
उन्हें सवाल भी अपना सुना के क्या होगा
जो हर सवाल पे बस मुस्कुराये जाते हैं !
शराब हुस्न की सबको पिला रहे वे, मगर
हमें कुछ और नज़र से पिलाये जाते हैं
कहें भी क्या जो वही पूछ रहे हैं हमसे !
‘ये ग़म हैं क्या जो तेरा दिल जलाये जाते हैं?’
गुलाब बाज़ न आते हैं उनसे मिलने से
भले ही राह में काँटें बिछाये जाते हैं