sau gulab khile
ज़िंदगी को यों ही भरमाया किये
प्यार को सपनों से बहलाया किये
प्यार धोखा ही सही पर, आपसे
हम ये धोखा भी कभी खाया किये
दे गयी हर साँस कोई दुख नया
जन्म लेने की सज़ा पाया किये
‘वे भी तो होंगे किसीके प्यार में’
बेकली को दिल की समझाया किये
एक ही शीशे का दिल था जिसको ले
हम हरेक पत्थर से टकराया किये
सर झुका लेते हैं अब कुछ सोचकर
नाम सुनकर जो तड़प जाया किये
कोई, यों लगता है हरदम चल रहा
मेरे सर पर प्यार की छाया किये
शेर ये छू उनके होंठों के गुलाब
सादगी में भी ग़ज़ब ढाया किये