kumkum ke chhinte
इसके लिए दुख मत करना
कि हम कभी तारों में डोलते थे
कि हम कभी शिखरों से बोलते थे
कि हम कभी लहरों में किलोलते थे
कि कभी हमें भाता था फूलों से सँवरना
इसके लिये दुख मत करना
चिंता क्या जो सब बीत गया!
नागपाश में अब जकड़े भी हैं तो क्या!
ठूँठ जैसे राह पर खड़े भी हैं तो क्या!
तन के पुष्पाभरण झड़े भी हैं तो क्या!
चिंता क्या जो काल हमसे जीत गया।
चिंता क्या जो सब बीत गया!
जो कुछ भी होता है, सही है
बीता हुआ समय कब फिरता है!
कोई डूबता है, कोई तिरता है
कोई उठता है, कोई गिरता है
फिर भी यह दुनिया तो चलती ही रही है
जो कुछ भी होता है, सही है
1979