meri urdu ghazalen
चाँदनी रहे यही चाँद रहे
कोई ऐसा न मेरे बाद रहे
थे हज़ारों ही जहाँ दिलवाले
एक मैं भी था कभी, याद रहे
मुँह को मोड़ो ही नहीं, यह तो नहीं
हाँ, तड़पने में थोड़ा स्वाद रहे
यह दुआ दे के जा रहे हैं गुलाब
तू सदा ख़ुश रहे, आबाद रहे
चाँदनी रहे यही चाँद रहे
कोई ऐसा न मेरे बाद रहे
थे हज़ारों ही जहाँ दिलवाले
एक मैं भी था कभी, याद रहे
मुँह को मोड़ो ही नहीं, यह तो नहीं
हाँ, तड़पने में थोड़ा स्वाद रहे
यह दुआ दे के जा रहे हैं गुलाब
तू सदा ख़ुश रहे, आबाद रहे