मेरी उर्दू ग़ज़लें_Meri Urdu Ghazalen
- इल्मों-फन कुछ नहीं मालूम ग़मे-दिल के सिवा
- इस क़दर बहरे खुदी में डूबता जाता हूँ मैं
- ऐसे तो हुआ ही करती है हर बात निराली होली में
- कहीं लालों-गुहर होगी, कहीं इल्मों-हुनर होगी
- कितना है चर्ख हमपे मेहरबान न पूछिए
- चाँदनी रहे यही चाँद रहे
- जमाले-हुस्न है कुछ तो गुरूर होगा ही
- ज़मीन पर लालो-रु, महताब
- तुम्हारी चाहत में मर गया मैं, कभी तुम्हें एतबार होगा
- तू ढूँढ रहा जिसको वह कुछ दूर नहीं है
- तैश में है कारवाने-ज़िंदगी
- दर्द होता रहा रात भर
- दर्दे-दिल होने लगा
- दोनों ही अपने आप में है
- नहीं है ये आँखें भरी, जान लो
- नाकाम मुहब्बत के गुमनाम फरिश्तों ने
- प्यार तो दिल में कभी माना नहीं
- बुझना ही जब रात में, ऐसे नहीं ऐसे
- मिलता ही नहीं जो खुलके कभी
- मुझको दमभर भी तेरे कुचे में आराम नहीं
- यह सदा आती है आधी रात को उस पार से
- रात तो हमने बितायी है किसी और के साथ
- रुबाई और कता
- रोक देती है साज़े-हस्ती
- साज़ यों छू के हरेक तार रगे जाँ हो जाय
- हँसी अब उन होंठों पे छाने लगी है
- हरेक गुंचा हुआ तार तार गुलशन में
- हवा ने कुछ हंसी में