meri urdu ghazalen

जमाले हुस्न है कुछ तो ग़रूर होगा ही
पिया है जामे मुहब्बत, सरूर होगा ही

हँसी उड़ा ले हमारी कि हम भी देखेंगे
कभी तो दिल में तेरे कुछ ज़रूर होगा ही

छिपा रहेगा निगाहों से मेरी तू कब तक
कभी तो ज़ल्वये-दीदारे-तूर होगा ही

जिंदगी ख़्वाब में देखा हुआ अफसाना है
हवा का शीशमहल है कि चूर होगा ही

प्यार का लम्हा ग़नीमत है उम्रे-रक्साँ में
है जो आँखों में, निगाहों से दूर होगा ही