meri urdu ghazalen

रात तो हमने बितायी है किसी और के साथ
पर तेरी याद भी आयी है किसी और के साथ

जब कहा उनसे – कभी आँख मिलायी होती
हँसके बोले कि मिलायी है किसी और के साथ

ख़ाक समझेगा वह इस आग में जलने का मज़ा
जिसने लौ ही न लगायी है किसी और के साथ

प्यार इतना न बढ़ा गाँव के इन छैलों से
ज़िंदगी ! तेरी सगाई है किसी और के साथ

यों तो खिलते हैं सदा आपकी आँखों में गुलाब
पर ग़ज़ल हमने यह गायी है किसी और के साथ