meri urdu ghazalen

तू ढूँढ़ रहा जिसको, वह कुछ दूर नहीं है
ख़ुद को हटा के देख, जहाँ तू है, वहीं है

क़िस्मत न दे जो साथ तो तदबीर क्या करे !
बेपर्दा हुए तुम तो नज़र पर्दानशी है

क्या बेबसी कि सामने देखा भी जब मुझे
देखा था उसने जैसे कि देखा ही नहीं है

तुम क्या गये कि बादे-बहारी चली गयी
वह रौनके-शवाब ही फूलों में नहीं है

रुकती-सी जा रही हैं मेरे दिल की धड़कनें
पिछला पहर है रात का यह, चाँद हसीं है

मुझको तो भुलाने की क़सम दे रहे, लेकिन
तुम याद न आओगे, तुम्हें इसका यकीं है !

परवाने ढेर हो गये जल सोज़े-हुस्न से
कुछ हाजते-शमा तेरी महफ़िल में नहीं है